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एम्स और आईआईटी दिल्ली मिलकर बनाएंगे AI टूल, मोबाइल और इंटरनेट की लत से मिलेगा छुटकारा

आज के डिजिटल युग में मोबाइल और इंटरनेट की लत तेजी से बढ़ रही है, खासकर बच्चों और युवाओं में। इससे न केवल उनकी मानसिक सेहत प्रभावित हो रही है, बल्कि पढ़ाई और सामाजिक जीवन पर भी बुरा असर पड़ रहा है। इसी समस्या के समाधान के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) दिल्ली मिलकर एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित टूल विकसित कर रहे हैं, जो मोबाइल और इंटरनेट की लत से छुटकारा दिलाने में मदद करेगा।

क्यों जरूरी है यह AI टूल?

इंटरनेट और मोबाइल की लत को अब एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में देखा जा रहा है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के अनुसार, देश में 20 से 22 प्रतिशत स्कूल और कॉलेज के छात्र इस लत से प्रभावित हैं। यह लत चिंता, अवसाद और अन्य मानसिक बीमारियों को जन्म दे सकती है।

आईसीएमआर के सहयोग से एम्स में ‘सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च ऑन एडिक्टिव बिहेवियर’ (CAR-AB) नामक एक शोध केंद्र की स्थापना की जा रही है। यह देश का पहला ऐसा केंद्र होगा, जो इंटरनेट की लत और इससे होने वाले मानसिक विकारों पर शोध करेगा।

कैसे काम करेगा यह AI टूल?

एम्स के बिहेवियरल एडिक्शन क्लिनिक के प्रमुख प्रो. यतन पाल सिंह बलहारा के अनुसार, यह AI टूल बच्चों और युवाओं में इंटरनेट की लत की पहचान करने और उन्हें इससे छुटकारा दिलाने में मदद करेगा। यह टूल:

  1. इंटरनेट लत की शुरुआती पहचान करेगा – AI तकनीक के माध्यम से यह पता लगाया जाएगा कि कौन से बच्चे इस लत के प्रति अधिक संवेदनशील हैं।
  2. मानसिक स्वास्थ्य की जांच करेगा – यह टूल तनाव, अवसाद और चिंता जैसी समस्याओं का विश्लेषण करेगा।
  3. बिहेवियरल थेरेपी प्रदान करेगा – AI आधारित काउंसलिंग और सुझाव देगा जिससे बच्चे और युवा इस लत से बच सकें।
  4. माता-पिता और शिक्षकों को प्रशिक्षण देगा – यह टूल पैरंट्स और टीचर्स को सही रणनीति अपनाने में मदद करेगा ताकि वे बच्चों की स्क्रीन टाइम पर नियंत्रण रख सकें।
  5. स्कूल और कॉलेज में जागरूकता फैलाएगा – एम्स और आईआईटी दिल्ली के विशेषज्ञ विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में जाकर छात्रों और शिक्षकों को इस समस्या से निपटने के उपायों के बारे में बताएंगे।

इंटरनेट लत से बचाव के लिए जरूरी कदम

  1. स्क्रीन टाइम कम करें – बच्चों को सीमित समय के लिए ही मोबाइल और इंटरनेट इस्तेमाल करने दें।
  2. शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा दें – खेल और अन्य बाहरी गतिविधियों में शामिल करें।
  3. सोशल इंटरैक्शन बढ़ाएं – बच्चों को परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने के लिए प्रेरित करें।
  4. नींद का ध्यान रखें – देर रात तक स्क्रीन का उपयोग करने से बचें।
  5. डिजिटल डिटॉक्स अपनाएं – सप्ताह में कम से कम एक दिन बिना इंटरनेट और मोबाइल के बिताने की आदत डालें।

निष्कर्ष

एम्स और आईआईटी दिल्ली द्वारा विकसित यह AI टूल डिजिटल युग में मानसिक स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है। यह न केवल बच्चों और युवाओं को इंटरनेट की लत से बचाने में मदद करेगा, बल्कि उनके मानसिक और शारीरिक विकास को भी बेहतर बनाएगा। अगर आपके परिवार में भी कोई इस समस्या से जूझ रहा है, तो यह टूल एक वरदान साबित हो सकता है।

इस विषय पर आपके क्या विचार हैं? हमें कमेंट में जरूर बताएं।


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